दोस्तों माफ़ करना क्योंकि ये मेरी स्टोरी नहीं है मैंने कही से आपके लिया कॉपी की है.
पागल आदमी
पागल आदमी
“एक बार एक आदमी पागलखाने के
पास से गुजर रहा था कि उसकी गाड़ी पंचर हो गई. उसने वहीं अपनी गाड़ी खड़ी की और
उसका पहिया खोल कर बदलने की कोशिश करने लगा. तभी पागलखाने की खिड़की से झांकता हुआ
एक पागल उस आदमी से पूछ बैठा, “भैया आप क्या कर रहे हो?”
आदमी
ने पागल की ओर देखा और मुंह बना कर चुप रह गया. उसने सोचा कि इस पागल के मुंह क्या
लगना? उसने
उस पहिये के चारों स्क्रू खोल दिए, और टायर बदलने ही वाला था कि कहीं से वहां भैंसों का झुंड
आ गया. वो आदमी वहां से भाग कर किनारे चला गया. जब भैंसे चली गईं तो वह दुबारा
गाड़ी के पास आया कि टायर बदल ले. जब वो वहां पहुंचा तो उसने देखा कि जिस पहिए को
उसने खोला था उसके चारों स्क्रू गायब हैं. वो बड़ा परेशान हुआ. उसकी समझ नहीं पा
रहा था कि अब वो क्या करे. पहिया खुला पड़ा था, चारों स्क्रू भैंसों की भगदड़ में
गायब हो गए थे.
वो
परेशान होकर इधर-उधर तलाशने लगा. तभी खिड़की से फिर उसी पागल ने पूछा कि भैया क्या
हुआ? परेशान
आदमी ने झल्ला कर कहा, “अरे
पागल मैंने पहिया बदलने के लिए चारों स्क्रू बाहर निकाले थे अब मिल नहीं रहे. क्या
करूं समझ में नहीं आ रहा, ऊपर
से तुम सिर खा रहे हो.”
उस
पागल ने वहीं से कहा, “भैया
स्क्रू नहीं मिल रहे तो कोई बात नहीं. आप बाकी तीनों पहियों से एक एक स्क्रू निकाल
कर चौथे पहिए को तीन स्क्रू लगाकर टाइट कर लीजिए और फिर गैराज जाकर नए स्क्रू लगवा
लीजिएगा. ऐसे परेशान होने से तो कुछ नहीं होने वाला.”
आदमी
चौंका. बात तो पते की थी. चार की जगह तीन स्क्रू पर गाड़ी चल जाती. उसने पागल की
ओर देखा और कहा, “यार
बात तो तुमने ठीक कही है, लेकिन
बताओ जब तुम इतने समझदार हो तो यहां पागलखाने में क्या कर रहे हो?”
पागल
ने वहीं से जवाब दिया, “भैया, मैं पागल हूं, मूर्ख थोड़े ही हूं?”
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